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स्पीकर बनते ही ओम बिड़ला ने सदन में आपातकाल को याद किया, 2 मिनट का मौन भी रखा गया  

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द फॉलोअप नेशनल डेस्क 

स्पीकर बनते ही ओम बिड़ला ने सदन में आपातकाल को याद किया और 2 मिनट का मौन भी रखा गया। लोकसभा में आपातकाल पर पेश किए गए प्रस्ताव पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "ये सदन 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।"   


कहा- आपातकाल का निर्णय असंवैधानिक था 
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आगे कहा कि 1975 में आज के ही दिन तब की कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था। इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगाई थी। इसलिए अपनी संसदीय प्रणाली और अनगिनत बलिदानों के बाद मिली इस दूसरी आजादी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए, आज ये प्रस्ताव पास किया जाना आवश्यक है। स्पीकर ने कहा, “हम ये भी मानते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए।"

2 मिनट का मौन रखा गया 
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपातकाल को याद करते हुए कहा कि उन काले दिनों ने भारत के कितने ही नागरिकों का जीवन तबाह कर दिया था। कितने ही लोगों की मृत्यु हो गई थी। इमरजेंसी के उस काले कालखंड में, कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों की स्मृति में हम 2 मिनट का मौन रखते हैं।


 

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